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Tuesday 27 December 2011

आरसीएम पर छापे से करोड़ों भारतीयों के दिल आहत हुए

आरसीएम पर छापे से करोड़ों भारतीयों के दिल  आहत हुए 
(03:06:51 AM) 21, Dec, 2011, Wednesday

धमतरी !    धमतरी जिले में आर.सी.एम. बिजनेश कंपनी से जुडे तमाम व्यवसायियों ने एक विज्ञप्ति जारी कर स्पष्टीकरण दिया है कि कंपनी न तो फर्जी है न ही यह कोई इनवेस्टमेंट करवाती है। राजस्थान सरकार राजनीति से प्रेरित होकर आर.सी.एम. बिजनेस को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है।
राजस्थान सरकार आर.सी.एम. को चिटफंड कंपनी करार दे रही है। बल्कि आर.सी.एम. चिटफंड कंपनी नहीं है न तो यहां कोई व्यक्ति पैसा जमा करता है और न ही यहां मनी सर्कुलेशन होता है। यह डायरेक्ट सेलिंग मेथड है जिसमें कंपनी अपना माल सीधे ग्राहक को देती है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि अमेरिका की एक कंपनी (कीमती सौंदर्य प्रशाधन) भारत में स्वतंत्रता पूर्वक कार्य कर सकती है। जबकि अपने ही हिन्दूस्तान की कंपनी आर.सी.एम. भारत में रहकर अपने ही देश में स्वदेशी उत्पादों के साथ व्यापार नहीं कर सकती। यह कैसा न्याय है? भारत सरकार अभी एक विदेशी कंपनी को भारत लाना चाहती है। न जाने कितनी विदेशी कंपनियां भारत आई और उसकी वजह से कई घरेलू कंपनीया बंद हुई फिर भी भारत सरकार का उदारीकरण चलता है। आज स्वयं भारत की कंपनी आर.सी.एम. इतना सक्षम है कि भारत में करोड़ो लोगों के आय का साधन है एवं स्वास्थ्य रक्षा और भविष्य में आई कई लोगों की बेरोजगारी दूर कर सकने में योग्य है। यह तेजी से विकास कर रही कंपनी है, जिसके हितग्राही हैं भारत के आम लोग। जिस कंपनी का उद्देश्य है घर-घर की आर्थिक आजादी, विकसित राष्ट्र का निर्माण की तैयारी और इसी कंपनी के पीछे हाथ धोकर पड़ी है। राजस्थान सरकार, वो भी बिना किसी सबूत के।
आज न जाने कितने ऐसे परिवार है जिनकी रोजी रोटी आर. सी. एम. पर निर्भर है इनकी संख्या कई लाख है। क्या राजस्थान सरकार इन परिवारों की रोजी-रोटी की व्यवस्था करने वाली है? क्या राजस्थान सरकार के पास है इन लाखों लोगों के लिए रोजगार? अगर सरकार नहीं दे सकती है तो उन्हें किसी की रोजी-रोटी भी छिनने का कोई हक नहीं बनता है। जबकि सारे लोग कानूनी तौर पर सही कार्य कर रहे हैं। अगर आर.सी.एम. कानून की नजर में गलत था तो सरकार 11 वर्षो तक क्या कर रही थी। क्या उस वक्त यह सही था और आज विकसित है तो गलत है।
त्रिलोक चंद छाबडा जो कि इस बिजनेस के संस्थापक है। उनका सपना है कि घर-घर की आर्थिक आजादी और न सिर्फ यह एक सपना है बल्कि यह हकीकत की ओर अपना कई कदम, कई लाख लोगों के साथ उठाया जा चुका हुआ अभियान है जिसमें शामिल है। नशामुक्ति, आत्मनिर्भरता, गरीबी उन्मूलन, बिजली की बचत, नए भारत का निर्माण और नारी सशक्तिकरण, ऐसा उच्च कार्य करना अपराध है तो क्या सही है।
आज अपने ही देश में हमे अपने सपनों को पूरा करने का अधिकार नहीं रह गया है। आर.सी.एम. लोगों ने पैसा नहीं लगाया बल्कि अपने दैनिक दिनचर्या का सामान खरीदा है और उससे आय प्राप्त की है तो फिर 200 करोड़ का घोटाला कैसा? ये लोगों को भ्रमित करने की चाल है। विदेशी कंपनीयों की जय जयकार और देशी कपंनीयों पर कुठारघात होता चला आ रहा है।

Source  
http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/86934/2/163

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